तुम्हारी याद
अब तुम्हारी याद में मिलकर रोते हैं अक्सर.
कभी सोचा भी न था तुम यूं चले जाओगे,
रोता बिलखता देखकर भी पास नहीं आओगे.
कौन जानता था कि तुम धोखेबाज़ हो,
धोखा देने वालों के सर का तुम ताज हो.
भले हम हों लड़ते भले हम झगड़ते ,
भले दिन में कई बार मिलते बिछड़ते.
तुम्हारे साथ थे रोते तुम्हारे साथ थे हँसते,
पर अब तो अकेले ही रोते तड़पते.
फूल सूख जाते हैं पेड़ गिर जाते हैं,
मगर अपने पीछे खुशबू छोड़ जाते हैं.
पर तुम तो वो फूल थे,
जो खुशबू के साथ अपना सब कुछ छोड़ गए .
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें