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मंगलवार, 14 जून 2011

पिन बहुत सारे;

जिंदगी का अर्थ
मरना हो गया है
और जीने के लिये हैं
दिन बहुत सारे ।

इस
समय की मेज़ पर
रक्खी हुई
जिंदगी है 'पिन-कुशन' जैसी
दोस्ती का अर्थ
चुभना हो गया है
और चुभने के लिए हैं
पिन बहुत सारे।

निम्न-मध्यमवर्ग के
परिवार की
अल्पमासिक आय-सी
है जिंदगी
वेतनों का अर्थ
चुकना हो गया है
और चुकने के लिए हैं
ऋण बहुत सारे।
-- यह कविता Dr.Bhawna Kunwar द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।

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