Text selection Lock by Hindi Blog Tips

बुधवार, 2 जनवरी 2013

ये कुहरा और शर्दी


ये कुहरा और शर्दी
============
ये कुहरा और शर्दी,
मुझे, याद दिलाती है,
उस शर्दी के मौसम की,
कुहरे की चादर की,
स्म्रति की गागर की,
हमारे प्रेम सम्बन्धों की,
सम्बन्धों के तपन की,
तुम्हारे, उस काले,
ऊनी शाल की,
गर्म आगोश की,
++++++++++
जब, हम बैठते थे, छत पर,
देखते थे, नीचे
तो, घने कुहरे में,
ऐसा, लगता था,
मानो, हम किसी,
शटल यान में हो,
एकान्त की तलाश में हो,
दूर जलती लाईटे,
छोटे ग्रह हो,
हम तन्हा हो,
कुहरे का बना,
बंद कमरा हो,
धरा से दूर हो,
सांसे खमोश हो,
प्यार का जहाँ,
बसाने चले हो,
किस्मत अपनी,
आजमाने चले हो,
+++++++++++
जब कुहरे का उठा फायदा,
छुप-छुप कर मिला करते थे,
प्यार की बाते किया करते थे,
कालेज मिस कर,
जलाकर लकडियों का अलाव,
मजे,
पिकनिक पर किया करते थे,
हमारे पास घर देर से पहुंचने के,
कभी एक्स्ट्रा क्लास, तो कभी,
घना कुहरा, बहाने हुआ करते थे,
जब मैं, मैं नही, तुम, तुम नही,
हम हुआ, करते थे !
साथ जीने , साथ मरने की,
कसमे लिया करते थे !
   .....यशपाल सिंह “एडवोकेट”