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रविवार, 6 फ़रवरी 2011

उदास होंगे महीने साल हो जाएँगे वीरान

उदास होंगे महीने
साल हो जाएँगे वीरान
फट पड़ेगी धरती
बादल टूट के बरसेगा
प्रेम फिर भी प्रेम रहेगा
गर्दिश में रहे ग़रीबी
तंगहाल मानवता
रो पड़ेगी ममता
थर्राएगी ये हवा
प्रेम फिर भी प्रेम रहेगा
चाहे जो भी हो
बदलाव नियम भी हो
प्रेममाँ और उम्मीद
हर दम यहाँ मौज़ूद रहेंगे
चाहे मौत सबको हर ले
फिर भी ये रहेंगे।
[२-१०-2010]
-manohar chamoli 'manu'

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