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शुक्रवार, 29 अक्टूबर 2010

करवा चौथ के व्रत का मनोवैज्ञानिक प्रभाव

प्रिय्
पाठको,
जैसा कि आप सभी को मालूम हैँ,कि करवा चौथ के व्रत के साथ ही भारतीय त्यौहारो का मौसम शुरु हो, चुका है। परमपरा व धार्मिक मान्यता के अनुसार करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाए अपने पति कि लम्बी आयु के लिए रखती हैँ स्त्रिया इस कठोर व्रत तथा पूजा को अपना पति धर्म समझती हैँ। लेकिन इस व्रत के पीछे कई मनोवैज्ञानिक तथ्य व प्रभा व भी है। जैसा कि जब पत्नि व्रत रखती है तो पति को अपनी पत्नि के यह कठोर व्रत(जिसमेँ पानी भी नहीँ पिया जाता) रखने के कारण यह मानसिक आभास होता है कि उसकी पत्नि कोई भी विपत्ति आने पर उसकी ढाल बनकर रक्षा करेगी तथा बुरे वक्त मेँ उसका साथ देगी। यह सब सोचने के कारण पति के मन मेँ अपनी पत्नि के प्रति सच्चा प्रेम व विश्वास जाग्रत होता है। साथ ही पति का सच्चा प्यार पाकर पत्नि का व्यहार कोमल हो जाता है। वह पति तथा सास-ससुर को आदर देती है। पूजा तथा व्रत मनुष्य के आत्मविश्वाश को बढा देता है। आत्मविश्वाश बढने से कार्य क्षमता मेँ वृध्दि होती है। प्यार और स्नेह बढने से परिवार मेँ खुशहाली आती जिससे खुशहाल देश के निमार्ण मेँ सहयोग मिलता हैँ। तो ऐसे सिध्द होता हैँ ।इस कठोर व्रत का वैज्ञानिक तथा मनोवैज्ञानिक तथ्य व प्रभाव।.........YASHPAL SINGH ADVOCATE FROM - RAMPUR MANIHARAN(SAHARANPUR) U.P. Email: yashpalsingh5555@gmail.com मो0 न0 9758087475

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